
रक्षाबंधन हिंदुओं के प्रमुख त्यौहार में से एक है, रक्षाबंधन दुनिया में बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है, विश्व के कोने कोने में इस त्यौहार को मनाया जाता है , जहां भी हिंदू परिवार रहता है ,चाहे वो दुनिया के किसी भी कोने में हो इस त्यौहार को मानते है,ये त्यौहार भाई और बहन का त्यौहार है, इस त्यौहार का एक अपना ही महत्त्व है,
Rakshabandhan Kyu Manaya jata hai in Hindi- रक्षा बंधन क्यों मनाया जाता हैं।

*मुख्य विषय
- रक्षाबंधन की शुरुआत कब और कैसे हुईं?
- रक्षाबंधन का इतिहास
- रक्षाबंधन पर भूल से भी न करे ये काम
- भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में रक्षाबंधन पर्व की भूमिका
रक्षा बंधन क्यों मनाया जाता हैं।
रक्षाबंधन की शुरुआत कब और कैसे हुईं?
Rakshabandhan Kyu Manaya jata hai in Hindi
रक्षाबंधन की शुरुआत का सबसे पहला प्रमाण रानी कर्णावती व सम्राट हुमायूँ हैं। मध्यकालीन युग में राजपूत व मुस्लिमों शासकों के बीच संघर्ष चल रहा था। तब रानी कर्णावती चितौड़ के राजा की विधवा थीं। उस दौरान गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह से अपनी और अपनी प्रजा की सुरक्षा का कोई रास्ता न निकलता देख रानी ने हुमायूँ को राखी भेजी थी। रक्षा बंधन क्यों मनाया जाता हैं।
रक्षाबंधन का इतिहास और महत्त्व History and Significance of Rakshabandhan
रक्षाबंधन का त्यौहार हिंदी के सावन माह के पूर्णिमा को मनाया जाता हैं। रक्षाबंधन दो शब्दो का समूह है, जो रक्षा और बंधन से जुड़ कर बना है,” रक्षा ” का मतलब होता है बहन की रक्षा करना तथा “बंधन” का मतलब होता है अटूट प्रेम जिसे कभी तोड़ा ना जाएं। इस दिन बहन अपने भाई को याद करती है , और भाई के दाहिने हाथ में धागा बांध कर भाई के लंबी उम्र की कामना करती है,और भाई अपनी बहन को गिफ्ट देते हैं तथा उसकी रक्षा का भरोसा देते हैं।रक्षा बंधन क्यों मनाया जाता हैं।
रक्षाबंधन का इतिहास Rakshabandhan Ka itihas
रक्षाबंधन का एक अपना ही इतिहास है, रक्षाबंधन दुनिया के उन प्रमुख त्यौहार में से एक है जिसे अमीर गरीब ब्राह्मण और क्षुद्र सब मिल जुल कर मानते है , जिसकी अपनी सगी बहन नही होती है वो अपने परिवार के समूह के सभी बहनों के साथ मिल कर इस त्यौहार को मनाते है। रक्षा बंधन क्यों मनाया जाता हैं।
कृष्ण और द्रोपदी की कहानी
जब भगवान श्री कृष्ण ने मानव की रक्षा के लिए शिशुपाल का बध किया था तब उनके हाथ से खून निकल रहा था तभी माता द्रौपदी ने अपने पल्लू को फाड़ कर श्री कृष्ण के हाथ पर खून रोकने के लिए बांध दिया था। तभी भगवान ने उनकी रक्षा करने का संकल्प लिया था और जब कौरवों के राजकुमार दुहसासन माता द्रौपदी की चीर हरण कर रहे थे तब श्री कृष्ण ने उनकी मर्यादा की रक्षा की थी। रक्षा बंधन क्यों मनाया जाता हैं।
महाभारत में राखी का महत्व
जब युधिष्ठिर महाभारत की युद्ध में उतरने की शुरुआत कर रहे थे तभी श्री कृष्ण ने उन्हें सलाह दी थी की अपने और अपने सेना की रक्षा के लिए उन्हें रक्षाबंधन का त्यौहार माना चाहिए तभी माता कुंती ने अपने नाती और द्रोपदी ने कृष्ण के साथ इस त्यौहार को मनाई थी ।
संतोषी माता की कहानी
भगवान श्री गणेश जी के दोनो पुत्र शुभ और लाभ जब इस ज़िद पर अड़ गए की उनकी कोई बहन नही है, इस व्याकुलता को देखते हुए भगवान श्री गणेश जी को माता संतोषी को उत्पन करना पड़ा था तब भी मौका रक्षाबंधन का ही था।
यम और यमुना की रक्षाबंधन
पौराणिक कथाओं के अनुसार मृत्यु के देवता यानी यम तकरीबन 12 वर्षो तक अपने बहन यमुना के पास नही गए इस से बहन यमुना को काफी दुःख हुआ।
जिसे देख गंगा ने यम से विनती की , उसके बाद यम अपने बहन यमुना से मिलने गए , जिसे देख यमुना काफी प्रसन्न हुई और यम का काफ़ी ख्याल रखी।
बहन की इस व्याकुलता को देख कर उन्होंने बहन को आश्वासन दिया कि वो हमेशा आते रहेंगे।
बहन की इस व्याकुलता को देख कर उन्होंने बहन को आश्वासन दिया कि वो हमेशा आते रहेंगे।
बहन की इस व्याकुलता को देख कर उन्होंने बहन को आश्वासन दिया कि वो हमेशा आते रहेंगे।रक्षा बंधन क्यों मनाया जाता हैं।
सम्राट अलेक्जेंडर और सम्राट पुरु
राखी के त्यौहार से जुड़ी हुई पुरानी कहानी जब 300 BC में अलेक्जेंडर भारत जितने के मकसद से आया था उस समय भारत में सम्राट पुरु का बोल बाला था , पुरु के सेना ने अलेक्जेंडर की महान सेना को कड़ी चुनौती दी इसे देखते हुए अलेक्जेंडर की पत्नी ने पुरु को राखी भेट की थी, ताकि अलेक्जेंडर को पुरु से सुरक्षा प्रदान हों।
रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त कब है 2022 में। Rakshabandhan Ka Subh Muhurat Kab Hain 2022 Me
रक्षाबंधन की त्यौहार 11 अगस्त को मनाई जाएगी। इस साल राखी का शुभ मुहूर्त सुबह के 5:49 बजे से लेकर शाम को 6:01 तक रहेगा,
2022 में रक्षाबंधन कब है? Rakshabandhan Kab Hai 2022 Me
इस साल रक्षाबंधन 11 अगस्त दिन गुरुवार को होगा।
राखी किस हाथ पर बांधना चाहिए? Rakhi Kis Haath Par Baandhna Chahiye
राखी हमेसा दाए हाथ पर बांधना चाहिए।
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रक्षाबंधन पर भूल से भी न करे ये काम
रक्षाबंधन पर भाई और बहन दोनो को काले रंग के वस्त्र के उपयोग से बचना चाहिए, भूल कर भी रक्षाबंधन पर काले वस्त्र न पहनें,कला रंग नकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक होता है।
राखी बांधते समय खास कर के भाई का मुख किस दिशा में है जरूर ध्यान रखे, भाई का मुख दक्षिण दिशा में नही होना चाहिए, हमेशा से पूर्व और उत्तर दिशा को उत्तम माना गया है।
राखी बांधने से पहले तिलक लगाया जाता है,तिलक में साबुत अक्षत का ही उपयोग करे और इसे खड़ा लगाए, कृप्या टूटे अक्षत का प्रयोग न करे।
राखी बांधते समय लाल चंदन का ही उपयोग करे किसी और रंग का नही करना चाहिए।
राखी हमेशा दाहिने हाथ में ही बांधना चाहिए, बाए हाथ में बांधने से बचे।
रक्षा बंधन के दिन हमेशा इस चीज का ध्यान रखें कि राखी केवल शुभ मुहूर्त में ही बांधना चाहिए। रक्षा बंधन क्यों मनाया जाता हैं।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में रक्षाबंधन पर्व की भूमिका
इस त्यौहार का स्वतंत्रता सेनानियों ने भी खूब सहारा लिया, जब स्वतंत्रता संग्राम अपने चरम सीमा पर था तब “रविन्द्रनाथ ठाकुर ने बंग भंग का विरोध करते समय इस त्यौहार को बंगाल निवासियों के बीच पारस्परिक संबंध भाईचारे तथा एकता को स्थापित करने के लिए राजनीति उपयोग किया। रक्षा बंधन क्यों मनाया जाता हैं।
सन 1905 में रविंद्रनाथ ठाकुर का प्रसिद्ध कविता “मातृभूमि वंदना” का प्रकाशन हुआ उसमे लिखते है।
” हे प्रभु! मेरे बंगदेश की धरती,वायु, नदिया,जल,फूल सब पवन हो;
“हे प्रभु! मेरे बंगदेश के प्रत्येक भाई बहन उर अंतः स्थल, अविक्षण और अभिभक्त एवं एक हो।
Raksha Bandhan से जुड़े इस आर्टिकल को पढ़ कर कैसा लगा अपना कीमती सुझाव जरूर दे। रक्षा बंधन क्यों मनाया जाता हैं।
रक्षा बंधन क्यों मनाया जाता हैं।
Rakshabandhan Ka Subh Muhurat Kab Hain 2022 Me?
रक्षाबंधन की त्यौहार 11 अगस्त को मनाई जाएगी। इस साल राखी का शुभ मुहूर्त सुबह के 5:49 बजे से लेकर शाम को 6:01 तक रहेगा,
Rakshabandhan Kab Hai 2022 Me?
इस साल रक्षाबंधन 11 अगस्त दिन गुरुवार को होगा।
Rakhi Kis Haath Par Baandhna Chahiye?
राखी हमेसा दाए हाथ पर बांधना चाहिए
Rakshabandhan Kyu Manaya jata hai in Hindi?
रक्षाबंधन की शुरुआत का सबसे पहला प्रमाण रानी कर्णावती व सम्राट हुमायूँ हैं। मध्यकालीन युग में राजपूत व मुस्लिमों शासकों के बीच संघर्ष चल रहा था। तब रानी कर्णावती चितौड़ के राजा की विधवा थीं। उस दौरान गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह से अपनी और अपनी प्रजा की सुरक्षा का कोई रास्ता न निकलता देख रानी ने हुमायूँ को राखी भेजी थी।